जानें हर चीज कच्चातिवू द्वीप के बारे में | कच्चातिवू द्वीप श्रीलंका को कैसे मिला ?
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Holika Dahan Katha | जानें होलिका दहन की क्या कहानी है
Holika Dahan Katha | जानें होलिका दहन की क्या कहानी है
दोस्तों जैसा की आप सभी को मालूम है हिन्दू धर्म में बहुत से पर्व मनाए जाते है और इनमें कई पर्व ऐसे हैं जो बुराई पर अच्छाई की जीत की विजय के रूप में मनाए जाते हैं | इन्हीं पर्वों मे से एक है होली तथा होलिका दहन का उत्सव |
होलिका दहन कब मनाया जाता है :- होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंगों बाली होली खेलने से एक दिन पहले मनाया जाता है |
होलिका दहन के पीछे की कहानी :- विष्णु पुराण के अनुसार सतयुग में महर्षि कश्यप और उन की पत्नी दिति के दो पुत्र हुए जिन का नाम हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष रखा गया | हिरण्याक्ष का बद्ध भगवान ने वराह अवतार लेकर किया था |
हिरण्यकशिपु ने कठिन तपस्या के द्वारा ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त किया की उसे ना तो कोई मनुष्य मार सके ना ही कोई पशु ,वह ना तो दिन मे मरे ना रात को ,ना घर के अंदर ना बाहर ,ना किसी शस्त्र से ना किसी अस्त्र से | यह वरदान प्राप्त कर के वह अहंकारी हो गया , उस ने इन्द्र लोक को जीत लिया तथा तीनों लोकों को कष्ट देने लगा, वह चाहता था को सभी लोग उसे भगवान माने और उस की पूजा करें | वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश के हरदोई का शासक हुआ , हरि (भगवान) का विरोधी होने के कारण उसने अपने राज्य का नाम हरि द्रोही रखा था |
हिरण्यकशिपु की पत्नि का नाम कयाधु था ,उन के चार पुत्र हुए जिन के ना प्रह्लाद ,अनुहल्लाद ,संहलाद और हल्लद रखे गए | प्रह्लाद विष्णु भगवान का उपासक हुआ, प्रह्लाद की इस बात से हिरण्यकशिपु बहुत क्रोधित रहता था | विष्णु भक्ति को छुड़वाने के लिए हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को कई कष्ट दिये लेकिन प्रह्लाद अपनी भक्ति पे अड़िग रहा, अंत में हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मृत्यु दंड देने का निर्णय लिया | हिरण्यकशिपु की होलिका नाम की बहन थी जिसे वरदान था की वह आग से नहीं जलेगी | हिरण्यकशिपु ने होलिका से कहा की वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि मे प्रवेश कर जाये जिससे प्रह्लाद जलकर भस्म हो जायेगा ,लेकिन इस से उल्टा हुआ होलिका अग्नि में जल गई और प्रह्लाद बच गए |
एक और प्रयास में हिरण्यकशिपु ने एक लोहे के खंभे को गर्म किया और प्रह्लाद को उसे गले लगाने को कहा ,भगवान विष्णु जी ने एक बार फिर प्रह्लाद को नरसिंह रूप मे आकर बचाया और हिरण्यकशिपु का अंत किया|
बुराई पर अच्छाई पर इसी जीत की याद में हर साल होलिका दहन किया जाता है तथा अगले दिन रंग खेले जाते हैं |
हिरण्यकशिपु और हिरण्यकश्यप नाम में मतभेद :-हिरण्यकशिपु नाम का अर्थ है अग्नि जैसे रंग के केश बाला , लेकिन कालांतर में अनिष्ट या बुरे कामों के कारण हिरण्यकशिपु को हिरण्यकश्यप नाम से जाना जाने लगा जिस का अर्थ है अनिष्टकारी |दोनों ही नाम एक ही हैं |
हिरण्यकशिपु की मृत्यु का स्थान :- हिरण्यकशिपु की मृत्यु वर्तमान के बिहार , पूर्णिया जिला के जानकीनगर के पास धरहरा में हुई थी , जिसके प्रमाण आज भी यहाँ मिलते हैं |
होली में रंग खेलने की शुरुआत :- रंग खेलने की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के समय में मानी जाती है | एक बार श्रीकृष्ण जी माता यशोदा जी से पूछते हैं की राधा गोरी क्यूँ है और मैं काला क्यों हूँ | तो मात कहती है की कान्हा "राधा को रंग लगा दे , और वह भी तेरे जैसी हो जाएगी "| कान्हा जी ने ऐसा ही किया , वे ग्वालों के साथ चल पड़े और राधा रानी और सखियों को खूब ररंग लगाया , तभी से यह प्रथा चली आ रही है |
एक और मान्यता के अनुसार शोव भगवान ने यमराज को हराने के बाद चीता की राख़ से अपने पूरे शरीर पर लेप लगा लिया था |काशी में खेली जाने वाली मसान होली इसी का प्रमाण है |
वर्तमान में होली का जन्म कहाँ :- सबसे पहले होलिका दहन रानी लक्ष्मीबाई के शहर झांसी के प्राचीन नगर एरच में हुआ था |
FAQ
Q1. वैदिक काल में होली का पर्व किस नाम से मनाया जाता था ?
उत्तर :-वैदिक काल में होली का पर्व नवान्नेष्टि यज्ञ के नाम से मनाया जाता था, इस दिन मनु महाराज का जन्म हुआ था |
Q2. होली में रंग क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर :-होली के रंग समानता ,खुशी , उल्लास तथा भाई चारे का प्रतीक हैं |
Q3. क्या मुग़ल शासक भी होली खेलते थे ?
उत्तर :-19 वीं सदी के इतिहासकार मुंशी जकाउल्लाह की किताब तारीख -ए -हिंदुस्तान में बाबर के होली खेलने के बारे में लिखा है |होली को ईद-ए-गुलाबी और आब-ए-पाशी नाम शाहजहां के समय में दिया गया |अकबर के नौ रत्नो मे से एक अबुल फज़ल की किताब आईन-ए-अकबरी में भी होली से जुड़ी कई कहानियाँ हैं |आखिरी मुग़ल शासक बहादुर शाह जफर के होली पर लिखे फाग (क्यों मो पे मारी पिचकारी ,देखो कुंअर जी दूँगी गारी ) आज भी गाये जाते हैं |
23 मार्च
Vinayak Damodar Savarkar |जानें कौन थे विनायक दामोदर सावरकर
Vinayak Damodar Savarkar | जानें कौन थे विनायक दामोदर सावरकर
विनायक दामोदर सावरकर का जन्म :- विनायक जी का जन्म 28 मई 1883 में बम्बई प्रेसीडेंसी के जिला नासिक के गाँव भागूर में हुआ |उनकी माता जी राधाबाई और पिताजी दामोदर पंत सावरकर थे |इनके गणेश व नारायण दामोदर सावरकर नाम के दो भाई तथा नैनाबाई नाम की एक बहन थी |
विनायक दामोदर सावरकर की शिक्षा :- विनायक जी ने शिवाजी हाई स्कूल नासिक से मैट्रिक पास की तथा पुणे में फर्ग्यूसन कॉलेज से स्नातक हुए| वे क्रांतिकारी छात्रों के लिए इंडियन होम रूल सोसायटी के संस्थापक श्याम जी कृष्ण वर्मा की सहायता से लंदन के ग्रेज़ इन लॉ कॉलेज मे कानून की पढ़ाई के लिए चले गए और 1909 में वार एट लॉ की परीक्षा उतीर्ण की |8 अक्तूबर 1949 को उन्हें पुणे विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि दी गई |
विनायक दामोदर सावरकर का विवाह :- विनायक जी का विवाह 1901 में रामचन्द्र त्रयम्बक चिपलूणकर की बेटी यमुनाबाई के साथ हुआ |विनायक जी के पुत्र का नाम विश्वास सावरकर और पुत्री का नाम प्रभात चिपलूणकर था |
विनायक दामोदर सावरकर का क्रांतिकारी जीवन वृत :- विनायक जी में देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी, उन्होने अपनी उच्च शिक्षा के दौरान देशभक्ति की भावना को भावना को बढ़ाने के लिए नवयुवकों को इकट्ठा कर के मित्र मेलों का आयोजन किया |
अभिनव भारत नाम के क्रांतिकारी संगठन की स्थापना विनायक जी द्वारा 1904 में की गई | इन्होंने "द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेण्डेंस : 1857" लिखी जो किसी प्रकार से हॉलैंड में प्रकाशित हुई तथा पीक वीक पेपर्स व स्काउट्स पेपर्स के नाम से भारत पहुंचाई गई | विनायक जी को ब्रिटिश सरकार द्वारा 24 दिसंबर 1910 और 31 जनवरी 1911 को दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई | कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए उन्हें 7 अप्रैल 1911 को काला पानी की सजा सुनाई गई लेकिन 1920 में वल्लभ भाई पटेल और बाल गंगाधर तिलक जी के कहने पर ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें रिहा कर दिया गया |
मृत्यु :- 01 फरवरी 1966 को विनायक जी ने मृत्युपर्यंत उपवास रखने का निर्णय लिया तथा 26 फरवरी 1966 को भारतीय समय के अनुसार सुबह 10 बजे मृत्यु को प्राप्त हुए |
FAQ
प्र1.सावरकर जी को कालापानी की सजा क्यों हुई थी ?
उत्तर :- सावरकर जी को कालापानी की सजा 07 अप्रैल 1911 को नासिक जिले के कलेक्टर जैक्सन की हत्या के लिए नासिक षड्यंत्र काण्ड के अंतर्गत हुई थी |
प्र2:- राजनैतिक विचारधारा "हिन्दुत्व" का जनक है ?
उत्तर :- 'हिन्दुत्व' शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1892 में चंद्रनाथ बसु ने किया था और बाद में विनायक दामोदर सावरकर द्वारा इस शब्द को लोकप्रिय किया गया |
प्र3. लंदन में अभिनव भारत के संस्थापक कौन थे ?
उत्तर :- अभिनव भारत की स्थापना विनायक दामोदर सावरकर और गणेश दामोदर सावरकर द्वारा की गई |
प्र4. विनायक दामोदर सावरकर को वीर की उपाधि किस ने दी ?
उत्तर :-1936 में प्रसिद्ध नाटक और फिल्म कलाकार ,पत्रकार ,शिक्षाविद ,लेखक व कवि पी के अत्रे द्वारा पुणे के बालमोहन थियेटर में आयोजित स्वागत कार्यक्रम में सावरकर जी को "स्वातंत्र्यवीर' की उपाधि से संबोधित किया गया |
प्र5 : सावरकर जी ने आमरण अनशन क्यों किया ?
उत्तर :- सावरकर जी का मानना था की अगर किसी समाज के लिए आप की उपयोगीय समाप्त हो जाये तो अपनी इच्छा से शरीर छोड देना एक महान कार्य है अत: उन्होने आमरण अनशन किया और 26 फरवरी 1966 को उनका निधन हुआ |
17 मार्च
सामान्य ज्ञान बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर | प्रतियोगी परीक्षा के लिए हिन्दी व English GK MCQ (प्रश्नोत्तरी नंबर 2)
सामान्य ज्ञान बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर | प्रतियोगी परीक्षा के लिए हिन्दी व English GK MCQ
(ए) हर्षबर्धन/Harshbardhan
(बी) चन्द्रगुप्त द्वितीय/Chandragupt-II
(सी) बिम्बीसार/Bimbisar
(क) बिम्बीसार/Bimbisar
(ख) चन्द्रगुप्त द्वितीय/Chandragupt-II
(ग) हर्षबर्धन/Harshbardhan
(क) बिम्बीसार/Bimbisar
(a) उदयिन/Udiyan
(b) अजातशत्रु/Ajatsatru
(c) हर्षबर्धन/Harshbardhan
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