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आतंकवाद के पीड़ितों के स्मरण और श्रद्धांजली का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Remambrance and Tribute to the Victims of Terrorism)

  आतंकवाद के पीड़ितों के स्मरण और श्रद्धांजली का अंतर्राष्ट्रीय दिवस   (International Day of Remembrance and Tribute to the Victims of Terrorism) आज के युग में आतंकवाद पूरे विश्व के लिए एक चेतावनी बन चुका है ,एक आतंकवादी के लिए मानव मूल्य ,सिद्धांत और मानवाधिकार कोई मायने नहीं  रखते  और जो भी आतंकवाद से पीड़ित होता है वह इसके डर से पूरी जिंदगी उभर भी नहीं पाता ,यहाँ तक की वह अपने चारों तरफ के वातावरण  से अपने आप को अलग ही पाता है | आतंकवाद से प्रभावित इन्हीं परिवारों के लिए  आतंकवाद के पीड़ितों के स्मरण और श्रद्धांजली का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है | आतंकवाद के पीड़ितों के स्मरण और श्रद्धांजली का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का कारण   आतंकवाद के पीड़ितों के स्मरण और श्रद्धांजली का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का कारण आतंकवाद से पीड़ितों के हकों तथा मनवाधिकारों  की रक्षा तथा पूरे विश्व का इकट्ठे होकर आतंकवाद पीड़ितों के साथ खड़े रहना है   | नियुक्त दिन तथा कारण  आतंकवाद के पीड़ितों के स्मरण और श्रद्धांजली का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 21 अगस्त को   हर वर्ष मनाया जाता है | 21 अगस्त  को चुनने का कारण यह

ओलंपिक क्या है ,पहला ओलंपिक कहाँ खेला गया ,ओलंपिक का इतिहास

ओलंपिक क्या है ,पहला ओलंपिक कहाँ खेला गया ,ओलंपिक का इतिहास  दोस्तो आज के इस लेख में मैं आपको ओलंपिक खेलों के इतिहास के बारे में बताऊँगी | ओलंपिक खेल सबसे पहले कहाँ खेले गए ,भारत ने कब ओलंपिक मे शिरकत की आदि | ओलंपिक खेल क्या हैं ? ओलंपिक दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता है जिसमें राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों के सर्वोपरी एथलीट हिस्सा लेते हैं | यह खेल हर चार साल में होते हैं तथा इन खेलेओ का नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति करती है | अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का गठन पियरे डी कोबर्टिन द्वारा 23 जून 1894 में  किया गया |इन्हें आधुनिक ओलंपिक खेलों का जनक भी कहा जाता है | इसी कारण 23 जून को हर साल अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाता      है | पियरे डी कोबर्टिन का संक्षिप्त जीवन परिचय   पियरे डी कोबर्टिन का जन्म 01 जनवरी 1863 को पेरिस में हुआ तथा इनकी मृत्यु 02 फरवरी 1937 में जिनेवा में हुई |  पियरे डी कोबर्टिन  एक शिक्षाशस्त्री तथा इतिहासकार थे |  पियरे डी कोबर्टिन   1896 से 1925 तक  अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थे | ओलंपिक यह नाम पड़ने का कारण

वक्फ बोर्ड की स्थापना ,कार्यप्रणाली और इतिहास | Waqf Board,History and Functions

वक्फ बोर्ड की स्थापना ,कार्यप्रणाली और इतिहास | Waqf Board दोस्तों वक्फ बोर्ड के बारे में आप ने  सुना ही होगा, आज हर कोई जानना जा रहा है वक्फ बोर्ड के बारे में | इस सकन्ध मे मैं आपके उन्हीं सवालों का जवाव देने की कोशिश करूंगी जो वक्फ बोर्ड के बारे में आपके दिमाग में चल रहे होंगे | वक्फ बोर्ड की स्थापना  वक्फ बोर्ड  का गठन    1954 में हुआ, बाद में 1995 और 2013 में संसाधनो के द्वारा इस बोर्ड को असीमित शक्तियाँ दे दी गईं |  वक्फ क्या है और इसके प्रकार वक्फ का अर्थ है खुदा के नाम पर लोगों के उपकार के लिए दान वस्तु | वक्फ के निम्न चार प्रकार हैं :- (क)  नकद वक्फ (ख)  कॉर्पोरेट वक्फ  (ग)  संपत्ति वक्फ  (घ)  पारिवारिक वक्फ  (च)  धर्मार्थ वक्फ  वक्फ की कार्यप्रणाली भारत में एक सेंट्रल वक्फ बोर्ड है जिसे केंद्रीय वक्फ परिषद कहेंगे और 32 स्टेट बोर्ड हैं | सैंट्रल वक्फ बोर्ड का पदेन अध्यक्ष केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री होता है | जब कोई व्यक्ति अल्लाह या इस्लाम के नाम पर किसी भी तरह की संपत्ति या पैसा दान करता है तो उस संपत्ति या पैसे की देखरेख वक्फ बोर्ड करता है |  वक्फ बोर्ड का काम  वक्

जानें हर चीज कच्चातिवू द्वीप के बारे में | कच्चातिवू द्वीप श्रीलंका को कैसे मिला ?

  जानें हर चीज कच्चातिवू द्वीप के बारे में | कच्चातिवू द्वीप श्रीलंका को कैसे मिला ? दोस्तों  कच्चातिवू द्वीप का एक मुद्दा आज कल भारत देश में छाया हुआ है , आप सभी की इच्छा होगी इस द्वीप के बारे में जानने की | आप सभी जानना चाहते होंगे   कच्चातिवू द्वीप के इतिहास के बारे में यह द्वीप कहाँ है किस के स्वामित्व में है तथा और भी बहुत कुच्छ | आज मैं आप को  कच्चातिवू द्वीप के बारे में कुछ अनजाने तथ्य बताने जा रही हूँ जो श्याद आप को मालूम नहीं हैं | कच्चातिवू द्वीप कहाँ है ? कच्चातिवू द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलडमरू मध्य स्थित एक स्थान है | यह 285 एकड़ में फैला हुआ है | यह द्वीप भारत के रामेश्वरम से लगभग 14 समूद्री मील तथा श्रीलंका के जाफना से 19 किलोमीटर दूर है |यह द्वीप बंगाल की खाड़ी और अरब सागर को एक तरह से जोड़ता हुआ दिखता है |  इस द्वीप में एक सेंट एंथोनी चर्च है जो 20 वीं सदी में बना था |  कच्चातिवू द्वीप पर अधिकार :- 1505 से  1658 ई o  तक इस द्वीप पर पुर्तगालियों का शासन था | फिर इस पर 17 वीं शताब्दी तक रामनद साम्राज्य का शासन रहा | अङ्ग्रेज़ी शासन के दौरान यह मद्रास प्रेसीडेंस

भारत रत्न के बारे में सम्पूर्ण जानकारी | Know all about Bharat Ratna

भारत रत्न के बारे में सम्पूर्ण जानकारी | Know all about Bharat Ratna दोस्तों आप सभी को पता है की 30 मार्च 2024 को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (मरणोपरांत) ,पूर्ण प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव (मरणोपरांत) ,पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (मरणोपरांत) और कृषि वैज्ञानिक डॉ एम एस स्वामीनाथन (मरणोपरांत) को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया है | यह सम्मान श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भी दिया जाएगा , वे तबीयत खराब होने के कारण सम्मान समारोह में शामिल नहीं हो पाये अत: राष्ट्रपति जी यह पुरस्कार 31 मार्च को उन के घर जाकर देंगी | आप को यह जानने की इच्छा  जरूर होगी की भारत रत्न होता क्या है ,भारत रत्न किसे दिया जाता है और क्यों दिया जाता है ? आज इस स्कन्ध में मैं आप को भारत रत्न के बारे में बताऊँगी |  भारत रत्न सम्मान क्या होता है ? भारत रत्न भारत देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है | यह पुरस्कार भारत में दिये जाने बाले कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है | यह पुरस्कार असाधारण और सर्वोच्च सेवा को मान्यता देने के लिए दिया जाता है | भ

Holika Dahan Katha | जानें होलिका दहन की क्या कहानी है

  Holika Dahan Katha | जानें होलिका दहन की क्या कहानी है  Amazing Facts (अद्भुत रहस्य ) दोस्तों जैसा की आप सभी को मालूम है हिन्दू धर्म में बहुत से पर्व मनाए जाते है और इनमें कई पर्व ऐसे हैं जो बुराई पर अच्छाई की जीत की विजय के रूप में मनाए जाते हैं | इन्हीं पर्वों मे से एक है होली तथा होलिका दहन का उत्सव | होलिका दहन कब मनाया जाता है :- होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंगों बाली होली खेलने से एक दिन पहले मनाया जाता है | होलिका दहन के पीछे की कहानी  :- विष्णु पुराण के अनुसार सतयुग में महर्षि कश्यप और उन की पत्नी दिति के दो पुत्र हुए जिन का नाम हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष रखा गया |  हिरण्याक्ष का बद्ध भगवान ने वराह अवतार लेकर किया था | हिरण्यकशिपु ने कठिन तपस्या के द्वारा ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त किया की उसे ना तो कोई मनुष्य मार सके ना ही कोई पशु ,वह ना तो दिन मे मरे ना रात को ,ना घर के अंदर ना बाहर ,ना किसी शस्त्र से ना किसी अस्त्र से | यह वरदान प्राप्त कर के वह अहंकारी हो गया , उस ने इन्द्र लोक को जीत लिया तथा तीनों लोकों को कष्ट देने लगा, वह चाहता था को सभी लोग उसे भगवान मा

Vinayak Damodar Savarkar |जानें कौन थे विनायक दामोदर सावरकर

  Vinayak Damodar Savarkar  | जानें कौन थे विनायक दामोदर सावरकर  विनायक दामोदर सावरकर भारत के स्वतंत्रता सेनानी ,समाज सुधारक, इतिहासकार,राजनेता और उच्च कोटी के विचारक थे | "हिन्दुत्व" की राजनैतिक विचारधारा को विकसित करने का श्रेय विनायक दामोदर सावरकर को ही जाता है |  विनायक दामोदर सावरकर का जन्म   :- विनायक जी का जन्म 28 मई 1883 में बम्बई प्रेसीडेंसी के जिला नासिक के गाँव  भागूर में हुआ |उनकी माता जी राधाबाई और पिताजी दामोदर पंत सावरकर थे |इनके गणेश व नारायण दामोदर सावरकर नाम के दो भाई तथा नैनाबाई नाम की एक बहन थी | विनायक दामोदर सावरकर की शिक्षा   :-  विनायक जी ने शिवाजी हाई स्कूल नासिक से मैट्रिक पास की तथा पुणे में  फर्ग्यूसन कॉलेज  से स्नातक हुए|  वे क्रांतिकारी छात्रों के लिए इंडियन होम रूल सोसायटी के संस्थापक श्याम जी कृष्ण वर्मा की सहायता से लंदन के ग्रेज़ इन लॉ कॉलेज मे कानून की पढ़ाई के लिए चले गए और 1909 में वार एट लॉ की परीक्षा उतीर्ण की |8 अक्तूबर 1949 को उन्हें पुणे विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि दी गई | विनायक दामोदर सावरकर का विवाह   :- विनायक जी का वि