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18 अप्रैल

18 अप्रैल को हुई थी इस महान वैज्ञानिक की मृत्यु | अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु से जुड़ी कुछ बातें

18 अप्रैल को हुई थी इस महान वैज्ञानिक की मृत्यु | अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु से जुड़ी कुछ बातें

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जैसा की आप को मालूम है कि 18 अप्रैल को विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु हुई थी ,क्योंकी अल्बर्ट आइंस्टीन

एक जगत प्रसिद्ध व्यक्तित्व थे और उनकी मृत्यु का कारण क्या था तथा उनके लेख आदि कहाँ रखे गए सभी जनाना चाहते हैं |

अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु से जुड़ी कुछ बातें

(1) अल्बर्ट आइंस्टीन जिन्होंने द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण दिया तथा जिन्हें सैद्धांतिक भौतिकी में उनकी सेवाओं के लिए 1921 का नोबेल पुरस्कार दिया गया का निधन न्यू जर्सी के प्रिंसटन अस्पताल में हुआ था |

(2) हिटलर ने अल्बर्ट आइंस्टीन की हत्या के लिए 5000 डॉलर का ईनाम रखा था |

(3) अल्बर्ट आइंस्टीन को पेट से संबंधित रोग था जिसके कारण उनकी एक बार सर्जरी भी हुई थी |

(4) जब दोबारा उनकी तबीयत बिगड़ी तो उन्होंने सर्जरी से इनकार कर दिया और यह माँ मांगी कि “ मैं जब चाहूँ तब जाना चाहता हूँ ,कृत्रिम रूप से जीवन को लम्बा करना विस्वाद है,मैंने अपना काम कर दिया है अब जानें का समय है ,मैं इसे शान से करूंगा |

(5) अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु के बाद डॉ थॉमस हार्वे ने उनके दिमाग को निकाल लिया था व अपने घर ले गया था ,उसने यह काम परिवार कि अनुमति के बिना किया था |

(6) अल्बर्ट आइंस्टीन हैंज को मालूम था की अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने शरीर पर किसी भी परीक्षण की मनाही की थी फिर भी डॉ हार्वे को उसने मस्तिष्क के साथ परीक्षण करने दिया क्योंकि वे मानते थे कि दुनिया के भले के लिए यह जरूरी है |

(7) परीक्षण के लिए उनके मस्तिष्क के केई टुकड़े किए गए थे |

(8) अल्बर्ट आइंस्टीन कि मृत्यु के बाद उनकी वसीयत के अनुच्छेद 13 के तहत उनके कॉपीराइट प्रकाशन अधिकार , पांडुलिपियाँ तथा केई अन्य साहित्य सम्पतियाँ हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरूसलम (HUJI) में रख दी गयीं थीं |

(9) अल्बर्ट आइंस्टीन के अवशेषों का अंतिम संस्कार ट्रेटन, न्यू जर्सी में हुआ तथा उनकी राख को अज्ञात स्थान पर विखेरा गया |

(10) आज अल्बर्ट आइंस्टीन के मस्तिष्क के हिस्से फिलाडेल्फिया के म्यूटर मेडिकल म्यूजियम में मौजूद हैं |


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2.  

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04 अप्रैल

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित एक्टर डायरेक्टर मनोज कुमार का निधन | मनोज कुमार के भारत कुमार बनने की कहानी

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित एक्टर डायरेक्टर मनोज कुमार का निधन | मनोज कुमार के भारत कुमार बनने की कहानी

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विख्यात अभिनेता मनोज कुमार का 04 अप्रैल 2025 की सुबह 03:30 को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूबाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया | मनोज कुमार अपनी देश प्रेम पर आधारित फिल्मों में उत्कृष्ठ अभिनय के लिए मशहूर हुए थे जिनमें “क्रांति “,“शहीद”,”उपकार”,”पूरब और पश्चिम” आदि फिल्में शामिल हैं|

मनोज कुमार का जन्म :-

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को ब्रिटिश शासित भारत के एबटाबाद (अभी पाकिस्तान में है ) में हुआ था ,उनके पिता का नाम चंद्र स्वामी तथा माता का नाम सुशीला देवी था | भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार राजस्थान के हनुमानगढ़ में रहने आ गया था |उनका जन्म का नाम हरीकृष्ण गिरी गोस्वामी था , वे बचपन से ही दिलीप कुमार , अशोक कुमार और कामिनी कौशल के प्रशंसक थे | दिलीप कुमार की एक फिल्म शबनम में उनके रोल का नाम दिलीप कुमार था जिसको देखते हुए हरीकृष्ण गिरी गोस्वामी ने अपना नाम मनोज कुमार रख लिया |

अभिनय जीवन (उन्हें क्यों भारत कुमार कहा गया ) :-

मनोज कुमार जी की पहली फिल्म फैशन थी जो 1957 में रिलीज हुई थी |इसके बाद मनोज कुमार जी ने केई फिल्मों में काम किया लेकिन 1965 में आई फिल्म शहीद ने उनके अभिनय को चार चाँद लगा दिए |भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के कहने पर उन्होंने 1967 में अपने निर्देशन में उपकार फिल्म बनाई जो हिट रही |इस फिल्म के गाने जैसे की “ मेरे देश की धरती”, “ दीवानों से ये मत पूछो” और “कसमें वादे प्यार वफ़ा” आदि आज भी नया सा अनुभव देते हैं | इसके अलावा “पूरब और पश्चिम”,”क्रांति” आदि फिल्मों के कारण उनकी राष्ट्रवादी भावना प्रकट हुई , उन्होंने “रोटी कपड़ा और मकान”,”शोर” जैसी सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर फिल्में भी बनाईं | इसी तरह की देश प्रेम और राष्ट्रवादी भावनाओं से सरावोर फिल्मों के कारण उन्हें “भारत कुमार” कहा गया | 2015 में मनोज कुमार के आजीवन योगदान के लिए उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया |

मनोज कुमार को 1992 में पद्मश्री ,सर्वश्रेष्ठ अभिनय और निर्देशन के लिए कई बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन पुरस्कार तथा फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त किए |


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03 अप्रैल

थाईलैंड की पी एम शीनवात्रा ने बैंकॉक में प्रधानमंत्री मोदी को “ द वर्ल्ड त्रिपिटक: सज्जया फोनेटिक एडीशन” भेंट की || जानें त्रिपिटक के बारे में

थाईलैंड की पी एम शीनवात्रा ने बैंकॉक में प्रधानमंत्री मोदी को “ द वर्ल्ड त्रिपिटक: सज्जया फोनेटिक एडीशन” भेंट की || जानें त्रिपिटक के बारे में

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त्रिपिटक किसे कहते है ?


त्रिपिटक का शाब्दिक अर्थ है तीन टोकरियाँ अर्थात बौद्ध धर्म के ग्रंथों का समूह जिसे त्रिपिटक कहते हैं , इसके तीन भाग हैं |

(क) सूत्त पिटक

(ख) विनय पिटक

(ग) अभिधम्म पिटक

सूत्त पिटक में भगवान बुद्ध के प्रवचन उल्लिखित हैं , विनय पिटक में मठ में वास करने के नियम तथा अभिधम्म पिटक में प्रसिद्ध भिक्षुयों और विद्वानों द्वारा सूत्रों पर व्याख्याएँ दी गयीं हैं |यह ग्रंथ मुख्यत: पाली भाषा में लिखा हुआ है तथा इस ग्रंथ का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है |

त्रिपिटक की रचना

त्रिपिटक का रचना काल 100 से 500 ईसा पूर्व है | कहा जाता है की त्रिपिटक तीन संगीतियों मे स्थिर हुई जो बौद्ध धर्म के उत्थान के लिए बुलायी गई थी | पहली संगीती महाकाश्यप स्थवीर द्वारा राजगृह में बुलाई गई थी | दूसरी संगीती बुद्ध परिनिर्वाण के 100 बर्ष बाद बैशाली में बुलाई गई तथा तीसरी संगीती बुद्ध परिनिर्वाण के 236 बर्ष बाद पाटलिपुत्र में सम्राट अशोक के समय तिस्स मोग्गलिपुत्र ने बुलाई थी |


मोदी जी को भेंट किए गए संस्करण का इतिहास 

मोदी जी को पवित्र ग्रंथ “ द वर्ल्ड त्रिपिटक: सज्जया फोनेटिक एडीशन” भेंट किया गया | यह पाली और थाई में लिखा गया है | यह संस्करण राज्य भूमिबोल अदुल्यादेज और रानी सिरीकित के 70 बर्ष के शासन काल की स्मृति में 2016 में थाई सरकार ने “ विश्व टिपिटका परियोजना” के हिस्से के रूप में प्रकाशित किया था |

राजा भूमिबोल 

राजा भूमिबोल थाई सम्राट का सबसे लंबा शासन काल चलाने वाले राजा थे,उनका जन्म 5 दिसंबर 1927 को कैम्ब्रिज मैसाचुसेट्स अमेरिका में हुआ तथा उनका राज तिलक 5 मई 1950 को हुआ था , उन्होंने 70 बर्ष 126 दिन थाईलैंड पर शासन किया |


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23 मार्च

Vinayak Damodar Savarkar |जानें कौन थे विनायक दामोदर सावरकर

 Vinayak Damodar Savarkar  | जानें कौन थे विनायक दामोदर सावरकर 

Vinayak Damodar Savarkar  |जानें कौन थे विनायक दामोदर सावरकर
विनायक दामोदर सावरकर भारत के स्वतंत्रता सेनानी ,समाज सुधारक, इतिहासकार,राजनेता और उच्च कोटी के विचारक थे | "हिन्दुत्व" की राजनैतिक विचारधारा को विकसित करने का श्रेय विनायक दामोदर सावरकर को ही जाता है | 

विनायक दामोदर सावरकर का जन्म  :- विनायक जी का जन्म 28 मई 1883 में बम्बई प्रेसीडेंसी के जिला नासिक के गाँव  भागूर में हुआ |उनकी माता जी राधाबाई और पिताजी दामोदर पंत सावरकर थे |इनके गणेश व नारायण दामोदर सावरकर नाम के दो भाई तथा नैनाबाई नाम की एक बहन थी |

विनायक दामोदर सावरकर की शिक्षा  :-  विनायक जी ने शिवाजी हाई स्कूल नासिक से मैट्रिक पास की तथा पुणे में फर्ग्यूसन कॉलेज से स्नातक हुए|  वे क्रांतिकारी छात्रों के लिए इंडियन होम रूल सोसायटी के संस्थापक श्याम जी कृष्ण वर्मा की सहायता से लंदन के ग्रेज़ इन लॉ कॉलेज मे कानून की पढ़ाई के लिए चले गए और 1909 में वार एट लॉ की परीक्षा उतीर्ण की |8 अक्तूबर 1949 को उन्हें पुणे विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि दी गई |

विनायक दामोदर सावरकर का विवाह  :- विनायक जी का विवाह 1901 में रामचन्द्र त्रयम्बक चिपलूणकर की बेटी यमुनाबाई के साथ हुआ |विनायक जी के पुत्र का नाम विश्वास सावरकर और पुत्री का नाम प्रभात चिपलूणकर था |

विनायक दामोदर सावरकर का क्रांतिकारी जीवन वृत :- विनायक जी में देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी, उन्होने अपनी उच्च शिक्षा के दौरान देशभक्ति की भावना को भावना को बढ़ाने के लिए नवयुवकों को इकट्ठा कर के मित्र मेलों का आयोजन किया |

अभिनव भारत नाम के क्रांतिकारी संगठन की स्थापना विनायक जी द्वारा 1904 में की गई | इन्होंने "द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेण्डेंस : 1857" लिखी जो किसी प्रकार से हॉलैंड में प्रकाशित हुई तथा पीक वीक पेपर्स व स्काउट्स पेपर्स के नाम से भारत पहुंचाई गई | विनायक जी को ब्रिटिश सरकार द्वारा 24 दिसंबर 1910 और 31 जनवरी 1911 को दो बार आजीवन कारावास की सजा  सुनाई गई | कलेक्टर  जैकसन  की  हत्या  के लिए उन्हें  7 अप्रैल 1911 को काला पानी की सजा सुनाई गई लेकिन 1920 में वल्लभ भाई पटेल और बाल गंगाधर तिलक जी के कहने पर ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें रिहा कर दिया गया | 

मृत्यु  :- 01 फरवरी 1966 को विनायक जी ने मृत्युपर्यंत उपवास रखने का निर्णय लिया तथा 26 फरवरी 1966 को भारतीय समय के अनुसार सुबह 10 बजे मृत्यु को प्राप्त हुए | 


FAQ

प्र1.सावरकर जी को कालापानी की सजा क्यों हुई थी ?

उत्तर :- सावरकर जी को कालापानी की सजा 07 अप्रैल 1911 को नासिक जिले के कलेक्टर जैक्सन की हत्या के लिए नासिक षड्यंत्र काण्ड के अंतर्गत हुई थी |

प्र2:- राजनैतिक विचारधारा "हिन्दुत्व" का जनक है ?

उत्तर :- 'हिन्दुत्व' शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1892 में चंद्रनाथ बसु ने किया था और बाद में विनायक दामोदर सावरकर द्वारा इस शब्द को लोकप्रिय किया गया |

प्र3. लंदन में अभिनव भारत के संस्थापक कौन थे ?

उत्तर :- अभिनव भारत की स्थापना विनायक दामोदर सावरकर और गणेश दामोदर सावरकर द्वारा की गई |

प्र4. विनायक दामोदर सावरकर को वीर की उपाधि किस ने दी ?

उत्तर :-1936 में प्रसिद्ध नाटक और फिल्म कलाकार ,पत्रकार ,शिक्षाविद ,लेखक व कवि पी के अत्रे द्वारा पुणे के बालमोहन थियेटर में आयोजित  स्वागत कार्यक्रम में सावरकर जी को "स्वातंत्र्यवीर' की उपाधि से संबोधित किया गया |

प्र5 : सावरकर  जी ने आमरण अनशन क्यों किया ? 

उत्तर :- सावरकर जी का मानना था की अगर किसी समाज के लिए आप की उपयोगीय समाप्त हो जाये तो अपनी इच्छा से शरीर छोड देना एक महान कार्य है अत: उन्होने आमरण अनशन किया और 26 फरवरी 1966 को उनका निधन हुआ |


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